Tuesday, 31 March 2015

SCHOOL BUS UNCONTROLLED

FORM-A
To,
The Central Public Information Officer,
Department of School Education & Literacy, Government of India
Date:-26 February 2015
Subject:-Regarding information under RTI Act 2005
Sir,
Kindly provide me the following information in the backdrop of the attached news report
1.FIRs and other details of legal action against all the schools (St. Michaels High School, Digha, Patna, Notre Dame Academy, Patliputra, Patna, St Xavier School, Gandhi Maidan, Patna, St Joseph Convent School, Gandhi Maidan, Patna, Don Bosco School, Patliputra, Patna & others for violating the guidelines of CBSE including honorable Supreme Court of India and District Administration, Patna

I attach the leading news report of multiple and uninterrupted violations regarding the future of the nation according to the honorable President & Honorable Supreme Court of India. 
I pay Rs.10/- against RTI fee.

Regards
Sd/-Prabhash Chandra Sharma
Journalist (Daily Print Media)
Secretary (Journalist Union of Bihar)
Consultant (Online Multi-Complaint)
Director (Political Coaching Institute)
Activist (Bihar Right to Information Forum)
Activist (Bihar Human Rights Protection Foundation)
Social Reformer
R/o-Patrakar sadan, Pahalwan Ghat, Patna-800001, Bihar (India)
Email-vikaschandrabudha@yahoo.co.in
AADHAAR No-3388 1143 0082

RTI Online 26-2-15 Number- DOSEL/R/2015/60491

IPC 304 A REVIEW

To,
Honorable Prime Minister, Hindustan
Date:-09 October 2014
Subject:-Regarding the abolition of IPC 304A
Sir,
On request of Standing Committee on Lokpal on 20-8-11. I’d advised by email-vikaschandrabudha@yahoo.co.in the Standing Committee & Loksabha Speaker that we already have enough lwas, therefore we should reduce the number of laws so that people may interpret & use them which has now gained momentum under the ablest PMship.
Many laws were made by Britishers for benefits against Indians. One Act IPC 304 A is being used to settle scores.
I appeal you to amend such laws made by Bristishers/like-minded.

Copy to other honorable recipients concerned.
Regards
Sd/-Prabhash Chandra Sharma
Journalist (Daily Hindi News Paper)
Secretary ( Journalists Union of Bihar)
Coordinator (Online Multi-Complaint Center)
Activist (Bihar Right to Information Forum)
Activist (Bihar Human Rights Protection Foundation)
Social Reformer
At:-Patrakar Sadan, Pahalwan Ghat, Patna-800001
Email:-vikaschandrabudha@yahoo.co.in

DARPG 09-10-2014 Complaint Number- DARPG/E/2014/068832





























Friday, 27 March 2015

आवेदन बनाम अराजकता

सेवा में,
माननीय मुख्यमंत्री, बिहार
माननीय प्रधानमंत्री, हिन्दुस्तान
दिनांक:-27 मार्च 2015
विषय: अधिकारीयों द्वारा आवेदन को नज़रंदाज़ करने के दुष्परिणामों के संबंध में ।
महाशयगण,
निवेदनपूर्वक याद दिलाना और अवगत कराना चाहता हूँ कि आप जैसे बुद्धिजीवी मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री देश और राज्य की गरिमा को नई व प्रतिष्ठित उंचाई प्रदान करते हैं । शासन के आपकी दूरदर्शिता और सभ्य कार्य प्रणाली और मानवीय सोंच से देश की मौलिक पहचान में प्रगति प्रचारित होता है और उसका लाभ राज्य और देश के उच्चतम से लेकर निम्नतम व्यक्ति तक को मिलता है साथ हीं असभ्यता और अराजकता के लिए जगह कम पड़ती है । आप जैसे महानुभावों से प्रेरित होकर मैंने भी आपके चिंता और सोंच को अपनी चिंता और सोंच का हिस्सा बनाया और लगभग एक दशक से अपनी मांग और समस्या, दूसरों की मांग और समस्या एवं सार्वजनिक मांग और समस्या के निबटारे और पूर्ति के लिए शिकायत और आवेदन लिखने एवं अपनी मांगों व शिकायतों को धैर्यपूर्वक और शांतिपूर्वक रखने की परंपरा को बढ़ावा देने का कार्य कर रहा हूँ जिसका परिणाम कुछ हद तक संतोषजनक रहा है । मेरे लगभग एक दशक का अनुभव यही कहता है कि शिक्षित या अशिक्षित, सभ्य या असभ्य सभी लोग अपनी मांगों और शिकायतों के लिए सर्वप्रथम सम्बंधित और सक्षम अधिकारी से पत्राचार का रास्ता अपनाते हैं किन्तु अधिकारीयों द्वारा जब उनके आवेदन को नज़रंदाज़ किया जाता है या आवेदन को तानाशाहिपुर्वक निबटाया जाता है तभी लोग लोग व्यवस्था को चोट पहुँचाने का काम करते हैं और निम्नलिखित कदम उठाते हैं; सड़क जाम करना, कार्यालय में तालाबंदी करना, नेताओं, मंत्रियों और अधिकारीयों को बंधक बनाना, नेताओं, मंत्रियों और अधिकारीयों पर हमला करना, जगह-जगह आगजनी करना, सरकारी संपत्ति को छति पहुँचाना, सरकारी संस्थानों पर हमलावर होना, अराजक रास्ता अख्तियार करना, उग्रवाद और आतंकवाद का रुख करना वगैरह-वगैरह । इसका एक ताज़ा प्रमाण 26 मार्च 2015 को विधान सभा के रास्ते में छात्रों और पुलिस के बीच खुनी झड़प देखने के लिए मिला । अधिकारी लोग अपनी स्मार्टनेस दिखा कर आवेदन को बिना किसी सकारात्मक नतीजे व असंतोषजनक तरीके से निबटा देते हैं जिसके लिए राज्य के मुख्यमंत्री और देश के प्रधानमंत्री को आलोचना व अपमान का पात्र बनना पड़ता है ।
हाल हीं के दिनों में बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार को उपर्युक्त सच्चाई का एहसास हुआ जिसके उपरांत श्री नीतीश कुमार ने शिकायत व आवेदन के संतोषजनक निबटारे का स्तर एवं अनुपात जानने के उद्धेश्य से एक निजी संस्था को रिपोर्ट तैयार करने को कहा है जो दूरदर्शिता और समस्याओं को मौलिक रूप से उखाड़ फेंकने का इमानदार प्रयास है ।
एक छोटा उदहारण यह है कि शिकायतों को दर्ज करने और उसे अंजाम तक पहुँचाने के मामले में पीएमओ की तुलना में सीएमओ, बिहार कई गुना बेहतर है क्योंकि बिहार जन शिकायत निवारण प्रणाली में शिकायत दर्ज करने के बाद एक रजिस्ट्रेशन नंबर दिया जाता है और आरटीआई जवाब में उस पर की गयी करवाई की स्तिथि बताई जाती है किन्तु पीएमओ में शिकायत दर्ज करने पर कोई रजिस्ट्रेशन नंबर नहीं दिया जाता है और जब आरटीआई आवेदन देकर संवेदनशील मुद्दों पर की गयी करवाई की स्तिथि की सुचना मांगी जाती है तो कहा जाता है कि आवेदन अप्राप्त है जिसका शिकार मैं स्वयं अनेकों बार हो चूका हूँ ।
अतः आप सभी से प्रार्थना है कि उपर्युक्त शिकायतों को सुझाव की तरह विचार करके लोगों की लिखित शिकायत और मांगों पर उतनी गंभीरता दिखाएँ जितनी गंभीरता शिकायत निबटारा नहीं होने पर अराजक लोगों के प्रति दिखाई जाती है और उदंडता को लेखनी से परिवर्तीत करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करें ।   
आपका राज्य और देशवासी     
ह०/-प्रभाष चन्द्र शर्मा
पत्रकार (दैनिक हिंदी अखबार)
सचीव (जर्नलिस्ट्स यूनियन ऑफ बिहार)
सलाहकार (ऑनलाइन मल्टी-कंप्लेंट)
निदेशक (राजनीतिक कोचिंग संस्थान)
कार्यकर्ता (बिहार राज्य सुचना का अधिकार मंच)
कार्यकर्ता (बिहार मानवाधिकार संरक्षण प्रतिष्ठान)
समाज सुधारक
पता:-पत्रकार सदन, पहलवान घाट, थाना-बुद्धा कॉलोनी, पटना-800001, बिहार (भारत)
आधार कार्ड संख्या:-338811430082
CM, Bihar 27-3-15 Complaint Number-99999-2703150100

DARPG 27-3-15 Complaint Number-DARPG/E/2015/033802

Thursday, 26 March 2015

जमीनी विवाद पुलिस का जैकपोट !!!

सेवा में,
माननीय मुख्यमंत्री, बिहार
दिनांक:-26 मार्च 2015
विषय:-जमीनी विवाद में त्वरित करवाई के लिए विशेष दल एवं हेल्पलाइन व अन्य को लागु करने के सम्बन्ध में ।
महाशय,
निवेदनपूर्वक कहना है कि सभी थाना क्षेत्र में जमीनी विवाद के मामलों की संख्या प्रबल है लेकिन ऐसे मामलों में करवाई और नियंत्रण के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं है जिसके कारण जमीनी विवाद हमेशा अराजक रूप धारण कर लेता है और फसाद, हत्या, अपहरण, बलात्कार जैसी घटनाएं होती है । जमीनी विवाद में बाहुबली (दबंग/उदंड पक्ष) पुलिस-प्रशासन, लागु कानूनी धाराओं, मानवाधिकारों व अन्य मानवीय व्यवस्था को ठेंगा दिखा कर विवादित जमीन पर अपनी मर्ज़ी चलाते हैं और अवैध रूप से कब्ज़ा और निर्माण  करते है जिसके पश्चात सम्बंधित थाना / पुलिस पर भी घूस लेकर मजबूत पक्ष को लाभ पहुँचाने का आरोप लगता रहता है जिससे कानून-प्रीय लोगों में कानून-व्यवस्था के सार्वजानिक बलात्कार होने का बेशर्म सन्देश जाता है ।
जमीनी विवाद को किसी थाना में दर्ज करने में कानून-प्रीय लोगों का पसीना छूट जाता है । पीड़ित पक्ष थाना जाकर अपने जमीन पर निर्माण या कब्ज़ा की मौखिक और लिखित शिकायत करता है लेकिन थाना द्वारा बिना रिसीविंग के उसका आवेदन लेकर दुसरे पक्ष को कब्ज़ा या निर्माण के लिए पर्याप्त वक़्त दिया जाता है और ऐसा इसलिए होता कि जिस व्यक्ति को अवैध रूप से जमीन पर कब्ज़ा करना या निर्माण करना होता है वह पहले हीं थाना में जाकर कानूनी और पुलिस करवाई को अपने पक्ष में इस तरह फिक्स करवा लेते हैं कि थानाध्यक्ष या अन्य पुलिसकर्मी फ़ोन तक नहीं उठाते, बार-बार फ़ोन काट देते हैं या घटना स्थल पर पहुँचने में अत्याधिक विलम्ब करते हैं । थाना द्वारा त्वरित करवाई नहीं करने पर पीड़ित पक्ष बारी-बारी से वरीय पुलिस अधिकारी को भी फ़ोन पर इसकी सुचना देते हैं लेकिन थाना तक वरीय अधिकारीयों की सुचना पहुँचने के पहले विवादित जमीन पर संतोषजनक रूप से अवैध कब्ज़ा और अवैध निर्माण सम्पूर्ण करवा दिया जाता है तब धारा 144 को लागु करने की बात कही जाती है, लेकिन धारा 144 के वावजूद दबंग/उदंड पक्ष धारा 144 को छल करके कब्ज़ा या निर्माण करते रहते हैं जिसकी शिकायत पर थाना द्वारा व्यंग करते हुए कहा जाता है कि वरीय अधिकारी के पास जाइए थाना क्यों आये हैं ।
ऐसी कुव्यवस्था इस बात का साफ़ सन्देश या सुझाव देती है कि जमीनी विवाद में उलझे/परेशान लोग पुलिस के पास नहीं जाकर किसी गुंडे या बदमाश के पास जाएँ या अन्य असामाजिक तत्वों को सहारा लेकर अपने जमीन पर अवैध निर्माण और कब्ज़ा को रोके लेकिन ऐसी परिस्थिति से राज्य में कानून-व्यवस्था की छवि बिगड़ती है जिसके लिए माननीय उच्च, सर्वोच्च न्यायलय और मानवाधिकार संगठनों द्वारा हमारे माननीय, आदरणीय और सक्षम अधिकारीयों और राज्य के मुखिया को दोषी और अक्षम बताया जाता है ।
अतः आप सभी से प्रार्थना है कि जमीनी विवाद को दर्ज करने के लिए एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया जाए, ऐसे मामलों से निबटने के लिए थाना में विशेष दल के त्वरित गठन को अनिवार्य बनाया जाए, जमीनी विवाद की सुचना के बाद वैसी कानूनी धारा को लागु किया जाए जिसके अंतर्गत अवैध कब्ज़ा और निर्माण को अविलम्ब हटाने और तोडवाने का अधिकार पुलिस को प्राप्त हो, पुलिस को त्वरित व निष्पक्ष करवाई के लिए विवादित स्थल का अनिवार्य रूप से फोटोग्राफी कराने का आदेश दिया जाए व अन्य उचित दिशा निर्देश दिए जाएँ ताकि राज्यस्तरीय बदनामी व अराजकता को रोका जा सके ।

प्रतिलिपि प्रेषित:-सभी माननीय सम्बंधित प्राप्तकर्तागण ।

आपका
ह०/-प्रभाष चन्द्र शर्मा
पत्रकार (हिंदी दैनिक अखबार)
सचीव (जर्नलिस्ट्स यूनियन ऑफ बिहार)
सलाहकार (ऑनलाइन सर्व शिकायत)
निदेशक (राजनीतिक कोचिंग संस्थान)
कार्यकर्ता (बिहार राज्य सुचना का अधिकार मंच)
कार्यकर्ता (बिहार मानवाधिकार संरक्षण प्रतिष्ठान)
समाज सुधारक
पता:-पत्रकार सदन, पहलवान घाट, थाना-बुद्धा कॉलोनी, पटना-800001, बिहार (भारत)
ईमेलः-vikaschandrabudha@yahoo.co.in
आधार कार्ड संख्या:-338811430082 
CM, Bihar 26-3-15 Complaint Number-99999-2603150522

DARPG 26-3-15 Complaint-GOVBH/E/2015/002282

Sunday, 22 March 2015

REPLACE POLICEMEN AT BANKS

To,
The Principal Secretary,
Home Department, Government of Bihar
Date:-22 March 2015 (Bihar Diwas)
Subject: - Regarding withdrawal of Bihar Policemen from as many as fifteen banks under Buddha Colony Police Station, Patna
Sir,
There are as many as fifteen banks under Buddha Colony Police Station, Patna having two Bihar policemen each totaling about thirty policemen whereas most of the banks have their private or departmental security men. Couple of policemen serves perhaps no purpose as the banks have full-proof security system including CCTV, alarm and others which are enough to raise alarm against any untoward attempt and incidents. There are many ATMs under the same Police station needing policemen but the banks have their departmental or private security guards whereas the ATMs are more vulnerable to loot and robbery than any branch operating in crowed and day time.
If the policemen are withdrawn and thirty policemen are deployed in public to maintain order the traffic situation and others shall improve to satisfactory level.
I, therefore, appeal you to review the deployment of policemen at banks throughout the day without substantial use and purposes and also advice the banks to arrange their security personnels.
Copy to honorable recipients concerned
Regards
Sd/-Prabhash Chandra Sharma
Journalist (Daily Print Media)
Secretary (Journalists Union of Bihar)
Consultant (Online Multi-Complaint)
Director (Political Coaching Institute)
Activist (Bihar Right to Information Forum)
Activist (Bihar Human Rights Protection Foundation)
Social Reformer
R/o-Patrakar Sadan, Pahalwan Ghat, P.S-Buddha Colony, Patna-800001 Bihar (India)
Email:-vikaschandrabudha@yahoo.co.in
AADHAR Number-338811430082

DARPG 22-3-15 Complaint Number-GOVBH/E/2015/002092

सरकार को अपमानित करने का प्रयास

फॉर्म-क
सेवा में,
केंद्रीय लोक सुचना पदाधिकारी,
प्रधानमंत्री कार्यालय, नई दिल्ली, भारत
दिनांक:-21 मार्च 2015
विषय:-सुचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अनतर्गत सुचना मांगने के सम्बन्ध में ।
महाशय,
मैंने केंद्र सरकार के मंत्रालयों और विभागों से निम्नलिखित गंभीर शिकायतें ऑन-रिकॉर्ड दर्ज करवाई जिसके जवाब में सभी मत्रालयों और विभागों ने मेरी शिकायत को ये कहकर फेंक दिया की ये मामले राज्य सरकार के अधीन है ;
1.      उच्चतम न्यायालय के उस आदेश का उलंघन करते हुए जिसमें कहा गया है की क्लास वन में बच्चों के नामांकन के लिए बच्चों और पेरेंट्स का टेस्ट नहीं लिया जाना है लेकिन पटना स्तिथ संत माइकेल हाई स्कूल ने न केवल टेस्ट लेने की घोषणा की बल्कि इस घोषणा को अपने स्कूल की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जब मैंने इसकी शिकायत केंद्रीय मंत्री, मानव संसाधन विकास और सीबीएसई से की तो दोनों ने मामले को राज्य सरकार के क्षेत्राधिकार का बताते हुए पलड़ा झाड़ लिया ।
2.      उच्चतम न्यायलय के उस आदेश में जिसमें स्पष्ट कहा गया है कि रात्रि 10 से सुबह 6 बजे बजे तक लाउडस्पीकर का प्रयोग नहीं होना है और दिन में लाउडस्पीकर का प्रयोग सिमित रूप से होना हैं लेकिन गृह मंत्रालय से मेरी इस शिकायत के बाद कि कोतवाली थाने के साथ अन्य जगहों पर लाउडस्पीकर का प्रयोग दिन-रात तेज़ आवाज में हो रहा है तो गृह मंत्रालय ने मुझसे कहा की ये मामला राज्य सरकार से सम्बंधित है और केंद्र सरकार को दखल देने का अधिकार नहीं है ।
3.      प्रधानमंत्री के मेक इन इंडिया के अहवान के बाद हमने अपने जमीन पर उद्योग लगाने में बाधक अतिक्रमण हटाने सम्बन्धी शिकायत प्रधानमंत्री, केन्द्रीय उद्योग मंत्री व अन्य से की तो सभी ने एक सुर में इस मामले को राज्य सरकार का बताते हुए पलड़ा झाड़ लिया और समस्या जस की तस बनी हुयी है और मेक इन इंडिया की पोल खुली हुयी है ।
उपर्युक्त सभी मामले देश में विशेष कर राज्य में शिक्षा अधिकार, कानूनी अधिकार, मानवाधिकार और संवैधानिक अधिकारों से जुड़े हुए हैं जिसमें केंद्र सरकार की मत्रलायें और विभागों ने यह कहते हुए पलड़ा झाड़ लिया कि सभी मामले राज्य सरकार सम्बद्ध और अधीन है ।
अतः मुझे इस बात की सुचना उपलब्ध कराई जाए कि बिहार में दसवीं की परीक्षा में कदाचार केन्द्रीय मंत्रालयों के अनुसार किस प्रकार शिक्षा अधिकार, कानूनी अधिकार, मानवाधिकार और संवैधानिक अधिकारों से महवपूर्ण और गंभीर है और केंद्र सरकार द्वारा किस हैसियत या अधिकार से राज्य सरकार द्वारा संचालित बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड से कदाचार की आधी-अधूरी रिपोर्ट पर जवाब तलब (अखबार की कटिंग संलग्न) किया गया है । क्या ऐसा राज्य सरकार को अपमानित करने या निचा दिखने के उद्धेश्य से किया गया है ।  
मैं आरटीआई शुल्क का भुगतान करता हूँ ।  
आपका विश्वासी
ह०/-प्रभाष चन्द्र शर्मा
पत्रकार (दैनिक हिंदी अखबार)
सचीव (जर्नलिस्ट्स यूनियन ऑफ बिहार)
सलाहकार (ऑन लाइन मल्टी-कंप्लेंट)
कार्यकर्ता (बिहार राज्य सुचना का अधिकार का मंच)
कार्यकर्ता (बिहार मानवाधिकार संरक्षण प्रतिष्ठान)
समाज सुधारक
पता:-पत्रकार सदन, पहलवान घाट, थाना-बुद्धा कॉलोनी,
पटना-800001 बिहार (भारत)
आधार संख्या:- 338811430082

RTI India Online 21-3-15 Number- PMOIN/R/2015/60712

Tuesday, 17 March 2015

अपार्टमेंट के अवैध निर्माण के विरूद्ध करवाई के नाम पर शोषण और दोहन !!!

सेवा में,
माननीय प्रधानमंत्री, भारत
माननीय मुख्यमंत्री, बिहार एवं दिल्ली ।
दिनांक:-17 मार्च 2015
विषय:-अपार्टमेंट में अवैध निर्माण व अनियमितता संबंधी विवाद के लिए अवैध निर्माण का फोटो और भवन का पारित नक्शा के आधार पर तय समय में निबटारा करने के सम्बन्ध में ।
महाशयगण,
निवेदनपूर्वक कहना है कि पटना, बिहार समेत दिल्ली व अन्य शहरों में सबसे अधिक और अवैध धनोपार्जन का एकलौता माध्यम अपार्टमेंट निर्माण है जिसकी अवैध कमाई और कमीशन से देश की शायद हीं कोई सम्मानजनक संस्थाएं भी बची हुई है । अपार्टमेंट के अवैध निर्माण का मामला प्रकाश में आते हीं सम्बंधित और हस्तक्षेप करने वाले विभाग और संस्थाओं के लोगों का जैकपोट निकल आता है । अवैध निर्माण खुलासे के प्रारंभिक चरण में तो सभी सम्बंधित अधिकारी और संस्थाएं ऐसी प्रतिक्रियाएं देते हैं कि अवैध निर्माण करने वालों व अन्य की हाड़ काँप जाती है लेकिन करवाई में तारीख दर तारीख के साथ सबकी बोली अवैध निर्माण के लय में आ जाती है और सब लोग एक हो जाते हैं और ऐसा लगता है कि अपार्टमेंट का अवैध निर्माण करने वाले, अधिकारीगण, और माननीय संस्थाएं कुम्भ के मेले बिछड़ गए थे और विवाद ने उनका मिलान करवा दिया । पटना में तो हालत ऐसी है कि विभाग अवैध निर्मित और निर्माण की गुप्त सुचना देने की विनती अख़बारों के माध्यम से करता है लेकिन जब शिकायत की जाती है तो कहा जाता है कि हमलोगों की जानकारी में सब है और करवाई की जा रही है । कभी-कभी अवैध निर्माण को तोड़ने का भी आदेश दिया जाता है, प्रशासन अवैध निर्माण तोड़ने भी पहुँचती है लेकिन अवैध निर्माण को तोड़ने का नेतृत्व कर रहे देश को चलाने का दावा करने वाले देश के सर्वश्रेष्ठ अधिकारी आईएएस और आईपीएस को मुट्ठी भर असामाजिक तत्वों के विरोध और उपद्रव को पीठ दिखाना पड़ता है और कहना पड़ता है कि कानून व्यवस्था बेकाबू होने की आशंका थी इसलिए कारवाई बंद की गयी है । दरअसल ऐसी कोई बात नहीं होती है, असली बात यह होती है कि हमारे संविधान में खाने और खानापूर्ति के लिए भी सम्पूर्ण प्रावधान हैं जो अधिकृत लोग समझते है और उसका बखूबी शोषण भी करते हैं । न्यायलय भी अपार्टमेंट के अवैध निर्माण से होने वाली दुर्घटना के लिए बिल्डरों को जिम्मेवार ठहराते हुए मरने वालों की कीमत लगाने के लिए अधिकृत करने का काम कर चुकी है साथ हीं अवैध निर्माण को हरी झंडी दी गयी थी ।
हम अपने देश में रह रहे लोगों की जानों की सुरक्षा के लिए दुश्मन देशों को अपनी सीमा में एक ईंट नहीं रखने देते हैं लेकिन अपने देश के अन्दर अधिकारीगण और संस्थाएं लोगों के लिए अवैध अपार्टमेंटनुमा कब्र बनने की प्रत्यक्ष/परोक्ष रूप से अनुमति देते हैं और बदले में उसकी दलाली खाते हैं । देश के वे लोग जाहिल हैं जो देशभक्ति की बात करते हैं, उन्हें भी चाहिए की वो भी हमारे देश में बहती भ्रष्टाचारी गंगा में हाथ धो लें लेकिन ये भी सभी लोगों से संभव नहीं हैं । राजमहल और राजभवन रुपी संवैधानिक संस्थाएं देश के दो वर्गों को शायद कीड़े-मकोड़ा समझती है पहला वो जो अपने सुख-दुख एवं परिवारों का त्याग कर अधिकारीयों और देश की संस्थाओं के आदेश के पालन के लिए सीमा पर अपनी जान गवांते हैं और दूसरा वे आम लोग हैं जो खून-पसीने की कमाई का तीन चौथाई हिस्सा कर के रूप में देश की संस्थाओं में बैठे अधिकारीयों को ऐश और आराम करने के लिए देती है और बदले में उन्हीं के द्वारा आम लोगों को मच्छरों की मौत या जिंदगी देते हैं । हमारे देश के प्रधानमंत्री, आरएसएस व अन्य का देशभक्ति सम्बन्धी चिंता देश के सामने जुमला हीं प्रतीत होता है जिसे उक्त महानुभावों को वास्तविकता में ईमानदारीपूर्वक अनुवाद करने की आवश्यकता है । देश में चल रही सहज रूप से भ्रष्टाचार की परंपरा से साफ़ ज़ाहिर होता है कि सम्बंधित अधिकारी और संस्थाएं ये सन्देश देती है कि आप लोगों की हत्या जरूर करें लेकिन हत्या करने के तरीकों में आवाज़ या हलचल नहीं हो मश्लन अवैध निर्मित भवनों में लोगों को रखकर हत्या करो, खाने की गुणवत्ता में समझौता कर खाने वालों की हत्या करो, प्रदूषित जल पिलाकर लोगों की हत्या करो, न्याय की आश में लोगों को तारीख पर तारीख देकर हत्या करो, गुणवत्ता विहीन पुल बनवाकर यात्रियों की हत्या करो बगैरह-बगैरह ।
अतः आपसे प्रार्थना है कि देशभक्ति, मानवता, नैतिकता और संवैधानिकता की रक्षा के लिए जल्द से जल्द अपार्टमेंट के अवैध निर्माण और अवैध रूप से निर्मित अपार्टमेंट संबंधी प्रत्यक्ष/गुप्त शिकायतों के लिए अपार्टमेंट का नक्शा और अपार्टमेंट में अवैध निर्माण और निर्मित के फोटो के आधार पर तय समय सीमा के अन्दर निबटारा सम्बन्धी प्रावधान अनिवार्य किया जाए और वास्तविक अवश्यभावी जेनोसाइड को रोका जाए ।
प्रतिलिपि प्रेषित:-सभी सम्बंधित गणमान्य प्राप्तकर्तागण ।
आपका विश्वासी
ह०/- प्रभाष चन्द्र शर्मा
पत्रकार (दैनिक हिंदी अखबार)
सचीव (जर्नलिस्ट्स यूनियन ऑफ बिहार)
सलाहकार (ऑनलाइन मल्टी-कंप्लेंट)
निदेशक (राजनीतिक कोचिंग संस्थान)
कार्यकर्ता (बिहार राज्य सूचना का अधिकार मंच)
कार्यकर्ता ( बिहार राज्य मानवाधिकार संरक्षण प्रतिष्ठान)
समाज सुधारक
पता:-पत्रकार सदन, पहलवान घाट, थाना-बुद्धा कॉलोनी, पटना-800001, बिहार (भारत)
DARPG 17-3-15 Complaint Number-DARPG/E/2015/029003
CM, Delhi 17-3-15 Complaint Number-GNCTD/E/2015/015933
President 17-3-15 Complaint Number-PRSEC/E/2015/024793

CM, Bihar 17-3-15 Complaint Number-99999-1703150116

Monday, 9 March 2015

किरायेदार + मकानमालिक हेल्पलाइन शुरू करने हेतु

किरायेदार + मकानमालिक हेल्पलाइन शुरू करने हेतु
सेवा में,
माननीय मुख्यमंत्री, बिहार एवं दिल्ली ।
दिनांक:-09 मार्च 2015
विषय:-किरायेदारों और मकानमालिकों के विवादों को सुलझाने के लिए हेल्पलाइन शुरू करने के सम्बन्ध में ।
महाशयगण,
निवेदन पूर्वक कहना है कि विशेषकर शहरी क्षेत्रों में किरायेदारों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है लेकिन मकान-मालिक और किरायेदार के बीच उत्पन्न होने वाले मतभेद से तुरंत राहत पहुँचाने वाली सहायता या निर्णायक प्रणाली के आभाव में किरायेदार के साथ मकान मालिकों का भी बेवजह शोषण व प्रताडन होता है जिसका दोनों पक्ष कानून को अपने-अपने हाथों में लेकर निबटारा करने का प्रयास करते हैं जिस कारण किसी न किसी को नुकसान उठाना पड़ता है । ऐसे विवादों में नुक्सान ज्यादातर किरायेदारों का होता है । चूँकि किरायेदार-मकान-मालिकों का ज्यादातर झगड़ा सास-बहु या पति-पत्नी के झगड़ों की तरह होता है जिसका निबटारा बहुत हीं मुश्किल होता है लेकिन ऐसे झगड़े में कानून और मानवाधिकारों का खुलकर उलंघन होता है और जिम्मेवार अधिकारी मूकदर्शक बने रहते हैं । ऐसे झगड़ों में किरायेदारों के घरों का बिजली और पानी तक का कनेक्शन ठीक उसी वक़्त काट दिया जाता है जब कोई सदस्य बीमार रहता है या किसी बच्चों की परीक्षा चल रही होती है या इस प्रकार की कोई अन्य इमरजेंसी होती है ।
ऐसी परिस्थिति में पुलिस और प्रशासन सामान्य स्तिथि बहाल नहीं करवा पाती है जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि हम किसी आतंकवदी या कट्टरवादी इस्लामिक देशों के नागरिक हैं जहाँ पुलिस और प्रशासन न्यायिक अधिकार और मानवाधिकारों की सुरक्षा के लिए नहीं बल्कि अतिवादी और दबंगों के लिए काम करती है ।
अतः श्रीमान् से प्रार्थना है कि राज्यों में जल्द से जल्द महिला व अन्य हेल्पलाइन की तर्ज़ पर किरायेदार + मकान मालिक हेल्पलाइन शुरू करने का आदेश दिया और भारतीय राज्यों को तालिबानी अनुभवों को दूर रखा जाए ।
आपका
ह०/-प्रभाष चन्द्र शर्मा
पत्रकार (हिंदी दैनिक अखबार)
सचीव (जर्नलिस्ट्स यूनियन ऑफ बिहार)
सलाहकार (ऑनलाइन सर्व शिकायत)
निदेशक (राजनीतिक कोचिंग संस्थान)
कार्यकर्ता (बिहार राज्य सुचना का अधिकार मंच)
कार्यकर्ता (बिहार मानवाधिकार संरक्षण प्रतिष्ठान)
समाज सुधारक
पता:-पत्रकार सदन, पहलवान घाट, पटना-800001, बिहार (भारत)
ईमेल:-vikaschandrabudha@yahoo.co.in
आधार कार्ड संख्या:-338811430082
CM, Bihar 9-3-15 Complaint Number-99999-0903150100
CM, Delhi 9-3-15 Complaint Number-GNCTD/E/2015/013592

Sunday, 8 March 2015

सांप्रदायिक प्रशासन का पक्षपातपूर्ण कार्य-कलाप

To,
The Secretary,
Home Department, Government of Bihar
Date:-08 March 2015
Subject:-Regarding communal implementation of Supreme Court Order
Sir,
Honorable Supreme Court of India in its order said that there shall be no use of loudspeaker between 10 pm and 6 am. Even out of this time slot, there shall be no blaring by loudspeaker but it has either been misinterpreted by wise state government and administration or the state government and administration rubbish the honorable courts’ order as the administration has banned the use of loudspeaker between 10 pm and 6 am in the temple of Lord Shiva at Pahalwan Ghat, Duzra under Buddha Colony Police Station, Patna for many years. It has also banned the blaring of loudspeaker out of 10 to 6 time slot in the temple. The administration firmly ensures the ban on loudspeaker even during the holiest festivals viz Dussehara, Chhat Puja etc. The administration allows the use of loudspeaker for just couple of hours between 10 to 6am time slot on second day of Chhat Puja for administrative announcement only whereas the same administration in the same area daren’t object the wild volume of loudspeaker between 10 pm and 6 am in the mosque let alone in day time. The administration also daren’t object the use of wild volume of loudspeaker every thirty minutes between 10 pm and 6 am during Ramzan festival since midnight. Unabated use of blaring by loudspeaker has been crippling many patients, old aged and new-born living nearby which is a brazen and administrative human rights violations.
The top cop also daren’t stop the wild volume and use loudspeaker in sensitive Kotwali Police Station, Patna round the clock.
I, therefore, appeal you to order immediate action against those implementing the honorable Supreme Court Orders communally and ensure the secular implementation of court order.
Copy to honorable Supreme Court, India other honorable concerned.
Regards
Sd/-Prabhash Chandra Sharma
Journalist (Daily Print Media)
Secretary (Journalists Union of Bihar)
Consultant (Online Multi-Complaint)
Director (Political Coaching Institute)
Activist (Bihar Right to Information Forum)
Activist (Bihar Human Rights Protection Foundation)
Social Reformer
At-112, 1st floor, Maa Bhagwati Complex, Boring Road Crossing, Patna-800001
Email:-vikaschandrabudha@yahoo.co.in
AADHAAR No-338811430082
CM, Bihar 8-3-15 Complaint Number-99999-0803150119
DARPG 8-3-15 Complaint Number-DARPG/E/2015/025362

President 8-3-15 Complaint Number-PRSEC/E/2015/021862