सेवा में,
माननीय मुख्यमंत्री, बिहार
माननीय प्रधानमंत्री, हिन्दुस्तान
दिनांक:-27 मार्च 2015
विषय: अधिकारीयों द्वारा आवेदन को नज़रंदाज़ करने के
दुष्परिणामों के संबंध में ।
महाशयगण,
निवेदनपूर्वक याद दिलाना और अवगत कराना चाहता हूँ कि आप
जैसे बुद्धिजीवी मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री देश और राज्य की गरिमा को नई व प्रतिष्ठित
उंचाई प्रदान करते हैं । शासन के आपकी दूरदर्शिता और सभ्य कार्य प्रणाली और मानवीय
सोंच से देश की मौलिक पहचान में प्रगति प्रचारित होता है और उसका लाभ राज्य और देश
के उच्चतम से लेकर निम्नतम व्यक्ति तक को मिलता है साथ हीं असभ्यता और अराजकता के
लिए जगह कम पड़ती है । आप जैसे महानुभावों से प्रेरित होकर मैंने भी आपके चिंता और
सोंच को अपनी चिंता और सोंच का हिस्सा बनाया और लगभग एक दशक से अपनी मांग और समस्या,
दूसरों की मांग और समस्या एवं सार्वजनिक मांग और समस्या के निबटारे और पूर्ति के
लिए शिकायत और आवेदन लिखने एवं अपनी मांगों व शिकायतों को धैर्यपूर्वक और
शांतिपूर्वक रखने की परंपरा को बढ़ावा देने का कार्य कर रहा हूँ जिसका परिणाम कुछ
हद तक संतोषजनक रहा है । मेरे लगभग एक दशक का अनुभव यही कहता है कि शिक्षित या
अशिक्षित, सभ्य या असभ्य सभी लोग अपनी मांगों और शिकायतों के लिए सर्वप्रथम
सम्बंधित और सक्षम अधिकारी से पत्राचार का रास्ता अपनाते हैं किन्तु अधिकारीयों
द्वारा जब उनके आवेदन को नज़रंदाज़ किया जाता है या आवेदन को तानाशाहिपुर्वक निबटाया
जाता है तभी लोग लोग व्यवस्था को चोट पहुँचाने का काम करते हैं और निम्नलिखित कदम
उठाते हैं; सड़क जाम करना, कार्यालय में तालाबंदी करना, नेताओं, मंत्रियों और अधिकारीयों
को बंधक बनाना, नेताओं, मंत्रियों और अधिकारीयों पर हमला करना, जगह-जगह आगजनी करना,
सरकारी संपत्ति को छति पहुँचाना, सरकारी संस्थानों पर हमलावर होना, अराजक रास्ता
अख्तियार करना, उग्रवाद और आतंकवाद का रुख करना वगैरह-वगैरह । इसका एक ताज़ा प्रमाण
26 मार्च 2015 को विधान सभा के रास्ते में छात्रों और पुलिस के बीच खुनी झड़प देखने
के लिए मिला । अधिकारी लोग अपनी स्मार्टनेस दिखा कर आवेदन को बिना किसी सकारात्मक
नतीजे व असंतोषजनक तरीके से निबटा देते हैं जिसके लिए राज्य के मुख्यमंत्री और देश
के प्रधानमंत्री को आलोचना व अपमान का पात्र बनना पड़ता है ।
हाल हीं के दिनों में बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश
कुमार को उपर्युक्त सच्चाई का एहसास हुआ जिसके उपरांत श्री नीतीश कुमार ने शिकायत
व आवेदन के संतोषजनक निबटारे का स्तर एवं अनुपात जानने के उद्धेश्य से एक निजी
संस्था को रिपोर्ट तैयार करने को कहा है जो दूरदर्शिता और समस्याओं को मौलिक रूप
से उखाड़ फेंकने का इमानदार प्रयास है ।
एक छोटा उदहारण यह है कि शिकायतों को दर्ज करने और उसे
अंजाम तक पहुँचाने के मामले में पीएमओ की तुलना में सीएमओ, बिहार कई गुना बेहतर है
क्योंकि बिहार जन शिकायत निवारण प्रणाली में शिकायत दर्ज करने के बाद एक रजिस्ट्रेशन
नंबर दिया जाता है और आरटीआई जवाब में उस पर की गयी करवाई की स्तिथि बताई जाती है
किन्तु पीएमओ में शिकायत दर्ज करने पर कोई रजिस्ट्रेशन नंबर नहीं दिया जाता है और जब
आरटीआई आवेदन देकर संवेदनशील मुद्दों पर की गयी करवाई की स्तिथि की सुचना मांगी
जाती है तो कहा जाता है कि आवेदन अप्राप्त है जिसका शिकार मैं स्वयं अनेकों बार हो
चूका हूँ ।
अतः आप सभी से प्रार्थना है कि उपर्युक्त शिकायतों को सुझाव
की तरह विचार करके लोगों की लिखित शिकायत और मांगों पर उतनी गंभीरता दिखाएँ जितनी
गंभीरता शिकायत निबटारा नहीं होने पर अराजक लोगों के प्रति दिखाई जाती है और
उदंडता को लेखनी से परिवर्तीत करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करें ।
आपका राज्य और देशवासी
ह०/-प्रभाष चन्द्र शर्मा
पत्रकार (दैनिक हिंदी अखबार)
सचीव (जर्नलिस्ट्स यूनियन ऑफ बिहार)
सलाहकार (ऑनलाइन मल्टी-कंप्लेंट)
निदेशक (राजनीतिक कोचिंग संस्थान)
कार्यकर्ता (बिहार राज्य सुचना का अधिकार मंच)
कार्यकर्ता (बिहार मानवाधिकार संरक्षण प्रतिष्ठान)
समाज सुधारक
पता:-पत्रकार सदन, पहलवान घाट, थाना-बुद्धा कॉलोनी,
पटना-800001, बिहार (भारत)
आधार कार्ड संख्या:-338811430082
CM, Bihar 27-3-15 Complaint Number-99999-2703150100
DARPG 27-3-15 Complaint Number-DARPG/E/2015/033802
No comments:
Post a Comment