Thursday, 26 February 2015

पुलिस को सुविधाओं की बौछार !!

सेवा में,
माननीय मुख्यमंत्री, बिहार ।
दिनांक:-16 फरबरी 2015
विषय:-बिहार पुलिस को मुफ्त आवास, मुफ्त चिकित्सा सुविधा, कैंटीन व बच्चों को केंद्रीय पुलिस की तर्ज़ पर नामांकन और शिक्षा देने के सम्बन्ध में ।
महाशय,
केन्द्रीय पुलिस और राज्य पुलिस पर राज्य और देश की आम जनता से लेकर न्यायपालिका, विधायिका, और कार्यपालिका की सुरक्षा का जिम्मा होता है । अपने-अपने क्षेत्र में दोनों पुलिस की जिम्मेवारी एक सामान होती है । ऐसा विश्वास किया जाता है कि अगर पुलिस मानसिक और शाररिक रूप से स्वस्थ और तनावमुक्त नहीं हो तो आम जनता से लेकर देश के महानुभावों की सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो सकता है जिसके मद्धेनज़र केंद्रीय पुलिस को हर तरह की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है ताकि वे शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ और तनावमुक्त रहें और जनता और महानुभावों की सुरक्षा मुस्तैदी से करें । केंद्रीय पुलिस की तुलना में बिहार राज्य पुलिस की सुविधा नगण्य है । बिहार पुलिस के कंधे पर सबके सुरक्षा की जिम्मेवारी है किन्तु उनका जीवन किसी असंगठित मजदूरों से कम प्रतीत नहीं होता है । बिहार पुलिस केवल बिहार के महानुभावों और महामहिमों की नहीं बल्कि केन्द्रीय महानुभावों और महामहिमों की सुरक्षा में तैनात किये जाते हैं ।
वर्तमान में बिहार पुलिस के लिए ना कोई स्थाई आवास की योजना है, ना कोई मुफ्त-समुचित-गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा की व्यवस्था है, ना उनके बच्चों के लिए मुफ्त और गुणवत्तापूर्ण विद्यालयों में नामांकन और शिक्षा की व्यवस्था है और ना हीं कोई कैंटीन की व्यवस्था है जिस कारण वे दूसरों का प्रहरी होने के वावजूद अपने–आप को हर तरह से असुरक्षित व असहाय पाते हैं एवं उक्त आवश्यकताओं की पूर्ति के जुगाड़ में व्यर्थ में समय और उर्जा व्यतीत करते हैं और निष्ठापूर्वक कर्त्तव्य करने में अपने आप को असहाय पाते हैं । सरकार का लगभग सभी कार्य और योजना के क्रियान्वन की जिम्मेवारी पुलिस को सौंपी जाती है ऐसे में यह आवश्यक है की सरकार उनकी मौलिक आवश्यकताओं को नज़रंदाज़ करने की चुक नहीं करे अन्यथा इस चुक का खामियाजा जल्द हीं महामहिम, महानुभावों के साथ आम जनता को भी भुगतना पड़ सकता हैं ।
अतः श्रीमान् से प्रार्थना है कि पुलिस की उक्त आवश्यकताओं पर बिना किसी उदासीनता के विचार कर उसे जल्द से जल्द कम से कम चरणों में लागू करने की जाए ।
प्रतिलिपि प्रेषि:-केंद्र सरकार व अन्य सम्बंधित एवं माननीय प्रप्त्कार्तागण ।
आपका
ह०/-प्रभाष चन्द्र शर्मा
पत्रकार (हिंदी दैनिक अखबार)
सचीव (जर्नलिस्ट्स यूनियन ऑफ बिहार)
सलाहकार (ऑनलाइन सर्व शिकायत)
निदेशक (राजनीतिक कोचिंग संस्थान)
कार्यकर्ता (बिहार राज्य सुचना का अधिकार मंच)
कार्यकर्ता (बिहार मानवाधिकार संरक्षण प्रतिष्ठान)
समाज सुधारक
पता:-पत्रकार सदन, पहलवान घाट, पटना-800001, बिहार (भारत)
ईमेलः-vikaschandrabudha@yahoo.co.in

आधार कार्ड संख्या:-338811430082 

CM, Bihar 16-2-15 (BPGRS Complaint Number-99999-1602150105
DARPG 16-2-15 Complaint Number-DARPG/E/2015/017672




Wednesday, 25 February 2015

जनप्रतिनिधि के लिए अनिवार्य हाजिरी

To,
The Honorable President, India
The Honorable Chief Justice, India
Date:-25 February 2015
Subject:-Regarding work attendance of Prime Minister, Chief Ministers, ministers and others
Sirs,
CJI happens to be the highest post in India yet it is bound by working conditions laid but the heads and representatives in legislative houses and governments appear to be under no obligation to be dedicated and regular in their respective offices for which they take oath and get the salary. Above mentioned employees carelessly roam here and there participating in rallies, dharna, yatra, janta darbar and what not despite the fact that they have office, departments and officers to report everything and execute any orders across their domain. The governments and representatives in legislative houses organize rally or campaign politically absenting their duties in respective offices without refraining from salary. According to labor laws, they have holidays on Sundays and other national holidays, they can take casual or other leave with information in advance but they consider themselves the kings of the constitutions.
I had written to the Loksabha Speaker, Honorable Supreme Court of India via- speakerloksabha@sansad.nic.in & supremecourt@nic.in dated 15-9-2011 regarding ban on MPs participating in comedy shows and reality shows on TV which resulted black out of MPs from small screen. The Mps were also doing so in violation of their duties.
I, therefore, pray you to order ensuring the installation of biometric attendance device in PMO, CMOs and legislative houses to calculate salary deduction and dereliction and also ensure that they ensure actions on public grievances by concerned officers and avoid encroaching upon the domain of officers meant for. I also appeal you to conditionally allow janta darbar only to punish the officers who fail to logically dispose the grievances of the people and define various stints of above mentioned people in larger and real public interest.
Copy to other honorable Recipients concerned.
Highest Regards
Sd/Prabhash Chandra Sharma
Journalist (Daily Print Media)
Secretary (Journalists Union of Bihar)
Consultant (Online Multi-Complaint)
Director (Political Coaching Institute)
Activist (Bihar Right to Information Forum)
Activist (Bihar Human Rights Protection Foundation)
Social Reformer
R/o-Patrakar sadan, Pahalwan Ghat, Patna-800001, Bihar (India)
Email:-vikaschandrabudha@yahoo.co.in
AADHAAR No-338811430082
DARPG 25-2-15 Complaint Number-DARPF/E/2015/021482
President 25-1-15 Complaint Number-PRSEC/E/2015/018132
CM, Bihar 25-2-15 Complaint Number-GOVBH/E/2015/001252

CM, Delhi 25-2-15 Complaint Number-GNCTD/E/2015/010632

Tuesday, 24 February 2015

चिकित्सा थाना स्थापित करने के सम्बन्ध में !!!


सेवा में,
माननीय प्रधानमंत्री, हिंदुस्तान ।
माननीय मुख्यमंत्री, बिहार, दिल्ली ।
दिनांक:-24 फरवरी 2015
विषय:-चिकित्सा थाना स्थापित करने के सम्बन्ध में ।
महाशयगण,
दुखिपुर्वक सूचित और निवेदन कर रहा हूँ कि देश और राज्य में निजी अस्पतालों की संख्या से कहीं अधिक निजी अस्पतालों के पास मरीजों के शोषण के उपाय हैं लेकिन राज्य और केंद्र सरकारों के पास मरीजों के चौतरफा शोषण को रोकने के कोई उपाय नहीं है । जब-जब मरीजों के शोषण का मामला उजागर होता है, मामला थाना पहुंचता है जहाँ मरीजों या उनके परिजनों को यह राटा-रटाया मशविरा दिया जाता है कि अगर मरीज या मरीज के परिजन चिकित्सक नहीं हैं तो मामला को दर्ज कराकर आगे बढाने से कोई लाभ नहीं है, मामला अगर डीजीपी तक भी चला जाए तो तो पुलिस वाले बहुत कुछ नहीं कर सकते हैं क्योंकि पुलिस वालों को चिकित्सा विज्ञान की जानकारी नहीं होती है अतः बारीक़ जांच संभव नहीं है । अगर कभी मरीजों के शोषण का मामला दर्ज भी कर लिया जाता है तो पुलिस आरोपी चिकित्सक के पास जांच के लिए जाती है जहाँ चिकित्सक द्वारा मामला को मामूली बताने के साथ चिकित्सा की प्रक्रिया का जंजाल खड़ा कर देते हैं जिसमे जांच कर रही पुलिस को शायद हीं कुछ ठोस सबूत हासिल हो पता है ।
ऐसी परिस्थिति में ये अनिवार्य बन जाता है कि जांच कर रही पुलिस को चिकित्सा विज्ञान की जानकारी हो या ऐसे मामले की जांच के लिए विशेष टीम हो जो चिकित्सा विज्ञान की जानकारी रखता हो । सरकार के ऐसे मामलों में विशेष टीम या चिकित्सा थाना के गठन पर उदासीनता से यह प्रतीत होता है कि सरकार अधिकतर शैतानरूपी चिकित्सकों के प्रति सहानुभूति रखती है और मरीजों के विरुद्ध चिकित्सकों से किसी स्वार्थ को पालती है ।
अतः आप सभी से निवेदन है कि उक्त शंकाओं को निराधार साबीत करते हुए जल्द से जल्द प्रत्येक जिले में कम से कम एक चिकित्सा थाना के गठन का आदेश दिया जाए ।
प्रतिलिपि प्रेषित:-सभी माननीय प्राप्तकर्तागण ।
आपका देशवासी 
ह०/-प्रभाष चन्द्र शर्मा
पत्रकार (हिंदी दैनिक अखबार)
सचीव (जर्नलिस्ट्स यूनियन ऑफ बिहार)
सलाहकार (ऑनलाइन सर्व शिकायत)
निदेशक (राजनीतिक कोचिंग संस्थान)
कार्यकर्ता (बिहार राज्य सुचना का अधिकार मंच)
कार्यकर्ता (बिहार मानवाधिकार संरक्षण प्रतिष्ठान)
समाज सुधारक
पता:-पत्रकार सदन, पहलवान घाट, पटना-800001, बिहार (भारत)
ईमेल:-vikaschandrabudha@yahoo.co.in
आधार कार्ड संख्या:-338811430082

CM, Bihar 24-2-15 Complaint Number-99999-2402150116
CM, Delhi 24-2-15 Complaint Number-GNCTD/E/2015/010413
DARPG 24-2-15 Complaint Number-DARPG/E/2015/021343

Monday, 23 February 2015

चुनावी जागरूकता वाहन

सेवा में,
श्रीमान् मुख्य चुनाव आयुक्त, भारत ।
दिनांक:-23 फरवरी 2015
विषय:-चुनावी जागरूकता के लिए हेल्पलाइन+चुनावी रथ के संचालन हेतु ।
महाशय,
निवेदन है कि बिहार में इसी वर्ष चुनाव होने वाले हैं और अब इसमें केवल सात-आठ महीने का हीं समय शेष रह गया है । बिहार में साक्षरता और चुनावी जागरूकता के आभाव से पूरा देश अवगत है जिसकी भरपाई करना न केवल सरकार बल्कि सरकार को चुनने में सहयोग करने वाली संस्था की भी सामान रूप से जिम्मेदारी बनती है जिसे चुनाव आयोग स्वतः समय-समय पर निभाती रहती है । मसलन, मतदाता जागरूकता दिवस को विभिन्न तरीकों से मानना; कैंप लगाकर, मानव श्रंखला बना कर, अखबार और टेलीविज़न में तरह-तरह के प्रचार दिखा कर किन्तु बिहार के बहुत बड़े हिस्से में ऐसी जागरूकता प्रणाली की पहुँच या समझ नहीं है । ऐसे प्रचारों और जागरूकता प्रयासों में मतदाता को सीधे लाभ पहुँचाने वाले पैकेज की कमी महसूस होती है लेकिन इसे बहुपयोगी बना कर जागरूकता अभियान को बहुत लाभकारी बनाया जा सकता है । इसके लिए किसी जागरूकता वाहन का संचालन कर लोगों को मतदात पहचान पत्र, वोटर लिस्ट में नाम जोड़ना, नाम सुधारना, बूथ परिवर्तन करना जैसी अन्य महत्वपूर्ण सेवाएँ दी जा सकती है ।
अतः श्रीमान् से प्रार्थना है कि ऐसे किसी हाई-टेक वाहन के संचालन पर समय रहते सकारात्मक विचार किया जाए और डेमोक्रेसी को बढ़ावा देने में सहयोग किया जाए ।
प्रतिलिपि प्रेषित:-सम्बंधित प्राप्तकर्तागण ।
आपका देशवासी 
ह०/-प्रभाष चन्द्र शर्मा
पत्रकार (हिंदी दैनिक अखबार)
सचीव (जर्नलिस्ट्स यूनियन ऑफ बिहार)
सलाहकार (ऑनलाइन सर्व शिकायत)
निदेशक (राजनीतिक कोचिंग संस्थान)
कार्यकर्ता (बिहार राज्य सुचना का अधिकार मंच)
कार्यकर्ता (बिहार मानवाधिकार संरक्षण प्रतिष्ठान)
समाज सुधारक
पता:-पत्रकार सदन, पहलवान घाट, पटना-800001, बिहार (भारत)
ईमेल:-vikaschandrabudha@yahoo.co.in
आधार कार्ड संख्या:-338811430082

DARPG 23-2-15 Complaint Number-DARPG/E/2015/020903

Saturday, 21 February 2015

निजी संस्थाओं में कर्मचारियों का पशुकरण ।

सेवा में,
श्रीमान् आयुक्त,
श्रम विभाग, पटना बिहार
दिनांक:-19 मार्च 2016
विषय:-श्रम विभाग द्वारा विभिन्न छापामारी दलों का गठन कर छोटे-बड़े प्रतिष्ठानों में श्रम नियम-कानून की धज्जियाँ उड़ाने वालों के खिलाफ करवाई करने के सम्बन्ध में
महाशय,
निवेदनपूर्वक कहना है कि बिहार में विभिन्न श्रेणियों की निजी कर्मचारीयों की संख्या सरकारी कर्मचारियों की संख्या की तुलना में विशेष रूप से राज्य की नब्ज राजधानी पटना में कहीं अधिक है लेकिन पटना में निजी कर्मचारियों से बिल्कुल वैसे क्रूरतापूर्वक काम लिया जाता है जैसे इराक और सीरिया में बनाये गए बंधकों से काम लिया जाता है
अतः श्रीमान् से प्रार्थना है कि विभिन्न छापामारी दलों का गठन कर राजधानी पटना के तमाम छोटे-बड़े प्रतिष्ठानों में छापामारी करवाकर निम्नलिखित उलंघन अवामननाओं के खिलाफ अखबार के माध्यम से औपचारिक चेतावनी के उपरांत कठोरतम कारवाई सुनिश्चित की जाये और श्रम अधिकार, मानवाधिकार, मौलिक अधिकार, कानूनी अधिकार का खुलेआम उलंघन अविलम्ब रोका जाए   
1.                 बिना रिक्तियों अस्पष्ट शर्तों के प्रकाशन के बहाली करना
2.                 नियुक्ति का अस्पष्ट या प्रमाण नहीं देना
3.                 नियत समय से पहले अकारण बिना चेतावनी/सुचना के स्थानांतरण निष्कासन करना
4.                 बैंक खाता में या प्रमाण के साथ समय पर वेतन नहीं देना
5.                 समय पर वेतन बढ़ोत्तरी नहीं विभिन्न भत्ता का भुगतान नहीं करना
6.                 बिना पूर्व सुचना के ओवरटाइम करने के लिए बाध्य करना
7.                 ओवरटाइम के लिए श्रम कानून द्वारा निर्धारित वेतन नहीं देना
8.                 प्रमाणित आकस्मात छुट्टी नहीं देना
9.                 मातृत्व-पितृत्व छुट्टी नहीं देना
10.            राष्ट्रीय राजकीय छुट्टियों के दिन बिना सहमति सेवा लेना
11.            साप्ताहिक अवकास का निर्धारण नहीं करना
12.            कर्मचारियों का चरित्र, पहचान और आवासीय प्रमाण की जांच नहीं करना
13.            कर्मचारियों के लिए हेल्पलाइन नंबर शिकायत माध्यम प्रदर्शित नहीं करना
14.            कर्मचारियों को विभिन्न सरकारी-लाभकारी योजनाओं से समय पर नहीं जोड़ना
15.            मूल-भूत सुविधाओं को उपलब्ध रख-रखाव नहीं करना
16.            अन्य अनिवायार्यतायों का उलंघन करना

प्रतिलिपि प्रेषित:-
1.     माननीय मुख्यमंत्री, बिहार
2.     माननीय श्रममंत्री, बिहार
3.     माननीय जिलाधिकारी, पटना
4.     माननीय प्रधान मंत्री, भारत
आपका विश्वासी
ह०/-प्रभाष चन्द्र शर्मा
पद्मा अवार्ड नॉमिनी (समाज सेवा श्रेणी)
पत्रकार (दैनिक हिंदी अखबार)
कार्यकारिणी सदस्य (जर्नलिस्ट्स यूनियन ऑफ़ बिहार)
कार्यकर्ता (सुचना का अधिकार)
कार्यकर्ता (मानव अधिकार)
सामाजिक सुधारक
पता:-पत्रकार सदन, पहलवान घाट,
थाना:-बुद्धा कॉलोनी, पटना-800001
ईमेल:-vikaschandrabudha@yahoo.co.in
आधार संख्या:- 338811430082
   
CM, Bihar 19-3-16 BPGRS Complaint Number- 99999-1903160106

PMO 19-3-16 Complaint Number- PMOPG/E/2016/0090925







माननीय प्रधानमंत्री, हिंदुस्तान                         दिनांक:-21 फरवरी 2015

विषय:-निजी कंपनी, कार्यालय व संस्थानों में अनिवार्य रूप से सरकारी पद्दत्ति से रिक्तियां प्रकाषित करने, बहाली करने, प्रोन्नति देने, सेवा समाप्त करने व अन्य प्रक्रियाओं के सम्बन्ध में ।
महाशय,
आशापूर्वक कहना चाहता हूँ कि हिन्दुस्तान में नौकरी योग्य आबादी की तुलना में सरकारी नौकरियां नगण्य है विशेष कर राज्य और केंद्र की सरकारी प्रतिष्ठानों के निजीकरण या आंशिक निजीकरण के पश्चात् रोजगार की उपलब्धता बहुत तेज़ी से कम हुई है जिसके परिणामस्वरूप बेरोजगार स्वाभाविक रूप से निजी क्षेत्र का रुख कर रहे हैं । बड़ी-बड़ी निजी कंपनियां तो कुछ हद तक रिक्तियां प्रकाषित करने, बहाली करने, वेतन देने, कर्मचारियों से सेवा लेने, उनको प्रोन्नति देने, स्थानांतरण करने और सेवा समाप्त करने के लिए दिखावटी रूप से हीं सही पर कुछ नियमों का पालन करती है लेकिन मध्यम और सूक्ष्म स्तर की संस्थाएं, कर्मचारियों सम्बन्धी नियमों को तानाशाहिपुर्वक खुद तय करती है और सभी अधिकारों समेत श्रम अधिकारों को ठेंगा दिखाते हुए उसका पालन भी करती है लेकिन राज्य और केंद्र सरकारें कर्मचारियों के अधिकारों प्रति तनिक भी गंभीर नहीं दिखती है । आलम यह है कि मध्यम और सूक्ष्म स्तर की संस्थाओं में कर्मचारियों की संख्या बड़ी संस्थाओं की तुलना में कई गुना अधिक है लेकिन सरकारों की साहस और इच्छाशक्ति के आभाव में छोटी संस्थानों में कर्मचारियों के संवैधानिक, मानव, श्रम अधिकारों का सड़े-आम उलंघन होता है । छोटी संस्थानों में वैसे हीं लोग नौकरी-सह-गुलामी करने के लिए तैयार होते हैं जिनकी आर्थिक स्तिथि सामान्यरूप से जीने-खाने की भी नहीं होती है । चौतरफा शोषित कर्मचारी दो मुख्य कारणों से शिकायत व विरोध नहीं करते हैं, पहला नौकरी खोने का डर और दूसरा कानूनी प्रक्रिया से अत्यधिक विलम्ब से न्याय का मिलना जिसका नाजायज़ फायदा उठाकर नियोक्ता निर्भीक एवं निर्बाध तरीके से कानून लागु करने वालों की नाक के टेल कर्मचारियों का शोषण करते हैं ।
अतः श्रीमान् से प्रार्थना है कि निम्नलिखित अपराधों को कानून की गंभीर व गैरजमानती धाराओं में शामिल किया जाए और आदमी को जानवर बनाए जाने से रोका जाए ।

1.                 बिना रिक्तियों व अस्पष्ट शर्तों के प्रकाशन के बहाली करना ।
2.                 नियुक्ति का अस्पष्ट या प्रमाण नहीं देना ।
3.                 नियत समय से पहले अकारण व बिना चेतावनी/सुचना के स्थानांतरण ।
4.                 समय पर वेतन नहीं देना ।
5.                 समय पर वेतन बढ़ोत्तरी नहीं करना ।
6.                 बैंक अकाउंट में वेतन का भुगतान नहीं करना ।
7.                 बिना पूर्व सुचना के ओवरटाइम करने के लिए बाध्य करना ।
8.                 आकास्मक छुट्टी नहीं देना ।
9.                 मातृत्व-पितृत्व छुट्टी नहीं देना ।
10.            राष्ट्रीय व राजकीय छुट्टियों के दिन सेवा लेना ।
11.            कर्मचारियों का चरित्र, पहचान और आवासीय प्रमाण की जांच नहीं करना ।
12.            कर्मचारियों के लिए हेल्पलाइन नंबर प्रदर्शित नहीं करना ।
13.            कर्मचारियों को विभिन्न सरकारी-लाभकारी योजनाओं से समय पर नहीं जोड़ना ।
14.            मौलिक सुविधाओं को उपलब्ध व रख-रखाव नहीं करना
15.            व अन्य अनिवायार्यतायों का उलंघन करना ।

प्रतिलिपि प्रेषित;
1.     मुख्यमंत्री, बिहार और दिल्ली व अन्य सम्बंधित प्राप्तकर्तागण  ।

आपका देशवासी  
ह०/-प्रभाष चन्द्र शर्मा
पत्रकार (हिंदी दैनिक अखबार)
सचीव (जर्नलिस्ट्स यूनियन ऑफ बिहार)
सलाहकार (ऑनलाइन सर्व शिकायत)
निदेशक (राजनीतिक कोचिंग संस्थान)
कार्यकर्ता (बिहार राज्य सुचना का अधिकार मंच)
कार्यकर्ता (बिहार मानवाधिकार संरक्षण प्रतिष्ठान)
समाज सुधारक
पता:-पत्रकार सदन, पहलवान घाट, पटना-800001, बिहार (भारत)
ईमेल:-vikaschandrabudha@yahoo.co.in
आधार कार्ड संख्या:-338811430082
DARPG 21-2-15 Complaint Number-DARPG/E/2015/020264
CM, Delhi 21-2-15 Complaint Number-GNCTD/E/2015/009694
CM, Bihar 21-2-15 Complaint Number-GOVBH/E/2015/001134

CM, Bihar 24-2-15 Complaint Number-99999-2402150102