Thursday, 29 January 2015

Army demand during festival met

सेवा में,
माननीय राष्ट्रपति, भारत ।
माननीय प्रधानमंत्री, भारत ।
दिनांक:-04 अक्टूबर 2014
विषय:-दसहरा और छठ पर्व के दौरान सेना की प्रतिनियुक्ति सुनिश्चित करने के सम्बन्ध में ।
महाशयगण,
दुखिपुर्वक कहना चाहता हूँ कि बिहार के लोगों में धर्म के प्रति अंधी और निरक्षर आस्था है किन्तु बदलते समय के साथ राजनैतिक और आपराधिक तत्व उनकी अंधी और निरक्षर आस्था का अमानवीय तरीके से लगातार शोषण करना शुरू कर दिए हैं । इसका दो-दो उदहारण हमलोग देख चुके हैं, पहला वर्ष 2012 के छठ पूजा के दौरान और दूसरा दुर्गा पूजा 2014 के दौरान  ।
दोनों बार हमलोगों ने दोषियों का पता लगाने का ड्रामा किया लेकिन सब बेकार और निराधार, किसी ने आज तक इस बात की गारंटी नहीं ली कि अगली बार किसी लापरवाही के कारण इस प्रकार की घटना की पुनरावृति नहीं होगी और शायद कोई लेगा भी नहीं ।
अपराधियों में पुलिस का किसी प्रकार का डर नहीं रह गया है । ईमानदार और देशभक्त पुलिस अधिकारीयों के पास अधिकार नहीं है, वे कहीं न कहीं दबंग और पहुँच वालों के हाथों पिटाई खा रहे होते हैं तो कहीं उनके हाथों अपमानित हो रहे होते हैं और बचे हुए पुलिस वाले चाय, खैनी, और दो चार रूपये की घुस लेकर अपनी जिम्मेवारी और पुलिस की वर्दी को बेचकर अपना अस्तित्व बचाए हुए हैं । पुलिस को किसी के खिलाफ करवाई करने या खानापूर्ति करने के लिए चोरों, अपहरणकर्ताओं और धोखेबाजों की तरह अपराधियों को गिरफ्तार व अन्य करवाई करना पड़ता है । प्रारंभिक अपराध से लेकर शीर्ष अपराध तक की शिकायत लोग केवल पटना के वरीय पुलिस अधीक्षक से करते हैं जिसका आंशिक समाधान वरीय पुलिस अधीक्षक अपने स्तर से कर पाने में सफल हो पाते हैं अन्य शिकायतों को तो भगवान् ही सुनाने वाले हैं । पटना के वरीय पुलिस अधीक्षक कई बार प्रिंट मीडिया में नालायक अधिकारीयों के खिलाफ अपनी नाराजगी दर्ज करा चुके हैं लेकिन किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता है, उल्टे अपराधी वरीय पुलिस अधीक्षक की लाचारी को हथियार बनाकर पीड़ित को यह कहकर धमकाते हैं की कोई पुलिस वाला उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता है ।
उपर्युक्त लाचार और नालायक पुलिस वालों को पर्व-त्यौहार के दौरान हजारों और लाखों निर्दोष जानों की सुरक्षा-व्यवस्था में लगाया जाता है जिसका अपराधियों में तनिक भी खौफ नहीं होता है । उन पुलिस वालों के नज़रों के सामने अपराधीगण अपराध करके लोगों में तुरंत ये सन्देश देने में कामयाब रहते हैं कि पुलिस से न्याय और व्यवस्था की आशा करना अज्ञानता से ज्यादा कुछ और नहीं है ।
पुलिस दबाव व अन्य कारणों से अपनी विफलता और कर्तव्यहीनता को छुपाने के लिए अपराधियों और पीड़ित को आपस में लड़वाकर मामले को थाना से बाहर हीं नाजायज़ तरीके से रफा-दफा करने के लिए उकसाती है । अगर पीड़ित न्याय के लिए थाना में मोकदमा दर्ज कराना चाहता है तो पुलिस उसे दुसरे पक्ष का काल्पनिक व गंभीर शिकायत के आलोक में करवाई का हवाला देकर मुँह बंद करवा देती है ।    
प्रत्येक वर्ष पूजा के दौरान पुलिस-प्रशाशन पूजा आयोजकों के सामने गिरगिराता रहता है की आयोजक पूजा के लिए लाइसेंस ले लें, बिजली का वैध कनेक्शन ले लें वगैरह-वगैरह लेकिन लेकिन एक दो को छोड़कर कोई आयोजक लाइसेंस लेने नहीं आता है । हार-थक कर पुलिस प्रशासन को पूजा आयोजकों के दरवाज़े पर जाकर उनकी शर्तो पर लाइसेंस थमाया जाता है । पूजा आयोजक निर्भीक होकर सड़क और आम स्थल का बहुत बड़ा हिस्सा अतिक्रमण कर लेते हैं, अवैध बिजली कनेक्शन लेते हैं, सर्वोच्य न्यायालय के उस आदेश की सड़े-आम धज्जियाँ उड़ाते हैं जिसमें दस बजे रात से लेकर छह बजे सुबह तक लाउडस्पीकर बजाने की सख्त पाबन्दी है । श्रद्धालुगण कहते हैं की सर्वोच्च न्यालायाय पहले ये स्पष्ट करे कि यह आदेश हिन्दुओं के लिए है की मुसलमानों के लिए है क्योंकि मुसलमान लोग साल के 365 दिनों तक दस बजे रात से लेकर छह बजे सुबह तक लाउडस्पीकर का दुरूपयोग करते हैं और लोगों की नींद हराम करते हैं, रमजान के वक़्त तो रात भर लाउडस्पीकर का प्रयोग कर आम के साथ लाचार और बीमार लोगों की नींद हराम करते हैं । ये हाल अन्य जगहों को छोड़ पटना के सबसे संवेदनशील कोतवाली थाना का है जहाँ सरेआम बहुपयोगी थाना कैंपस में नमाज़ पढ़ा जाता है और न्यायिक आदेश के विपरीत लाउडस्पीकर का प्रयोग भी किया जाता है ।
मैं भी रावण बद्ध के दिन गाँधी मैदान में मौजूद था और इसकी समाप्ति के बाद बैंक रोड से वापस अपने कार्यालय  लौट रहा था । भीड़ इतनी थी कि मुझे पचीस मिनट तक सड़क के किनारे इंतज़ार करना पड़ा इस बीच हमने देखा कि दस आवारा लड़कों का श्रृंखला खचा-खच भीड़ की उल्टी दिशा में दहशतगर्दों की तरह धक्का देते हुए चले जा रहे थे, मुझे  वहीं पर किसी भगदड़ की आशंका थी पर मुझे वहां कोई पुलिस वाला नज़र नहीं आया । पंद्रह मिनट के बाद हमने पुलिस और विशेष पुलिस बल के जवानों को आनन्-फानन में ड्यूटी से भागते हुए देखा । मेरा पूर्ण विश्वास है की भीड़ के घर के पहुँचने से पहले भाड़ी संख्या में पुलिस वाले अपने घर पहुँच चुके होंगे ।
हमने वर्ष 2012 के छठ पूजा के दौरान भगदड़ के बाद शांतिपूर्ण पूजा आयोजन के लिए दर्ज़नों सुझाव दिए था  जिसमें से केवल 50% सुझावों को वर्ष 2013 के छठ पूजा के दौरान लागु किया गया था और किसी तरह पूजा शांतिपूर्ण तरीके से बीत पायी थी ।
आम चुनाव को महापर्व का दर्ज़ा देकर दूर-दराज़ के इलाकों में केन्द्रीय बालों की भाड़ी संख्या में तैनाती की जाती है लेकिन असली महापर्व में आम लोगों को भेंड़-बकरी की तरह मरने के लिए छोड़ दिया जाता है जो व्यवस्था द्वारा सबसे बड़ा और घृणित मानव शोषण है ।  
वर्तमान राजनैतिक, आपराधिक, पुलिस और प्रशासनिक परिस्थितियों को देखते हुए यह अनिवार्य प्रतीत होता है कि छठ पूजा और दुर्गा पूजा जैसे महा-आयोजन के दौरान सेना के जवानों को बड़े पैमाने पर तैनात किया जाए और उपद्रवी तत्वों और कुव्यवस्था पर सत-प्रतिशत लगाम लगाया जा सके और हादसा के बाद सहानुभूति व्यक्त करने जैसी आवश्यकता को समय रहते टाला जा सके ।
छठ पूजा और दुर्गा पूजा के दौरान न्यायिक और प्रशासनिक आदेशों के पालन हेतु आर्मी की तैनाती की आवश्यकता को नज़रअंदाज करने वाले अधिकारीयों से नियम अनुपालन और लापरवाही के कारण निर्दोष जानों की सुरक्षा की गारंटी का बांड भरवाने का आदेश दिया जाए ताकि निर्दोष जानों के मामलों में अधिकारीयों में गंभीरता दिखे ।
मेरी प्रार्थना है कि इस संवेदनशील विषय को राज्य और केंद्र सरकार की रेसलिंग रिंग में नहीं धकेल दिया जाए ।
प्रतिलिपि प्रेषित:-सभी माननीय प्राप्तकर्तागण ।
विश्वासभाजन
ह०/-प्रभाष चन्द्र शर्मा
पत्रकार (दैनिक हिंदी अखबार)
सचिव (जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ़ बिहार)
संयोजक (ऑनलाइन मल्टी-कंप्लेंट सेंटर)
कार्यकर्ता (बिहार राज्य सुचना का अधिकार मंच)
कार्यकर्ता (बिहार मानवाधिकार संरक्षण प्रतिष्ठान)
समाज सुधारक 
पता:-पत्रकार सदन, पहलवान घाट, पटना-1
ईमेल:-vikaschandrabudha@yahoo.co.in

CM, Bihar 4-10-14 Complaint Number- 99999-0410140108
DARPG 4-10-14 Complaint Number- DARPG/E/2014/067748

President 4-10-14 Complaint Number- PRSEC/E/2014/137886

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